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Chilkur Balaji Temple - Temple History and Temple Timings

 
 
 
The Legend of Chilkur Balaji
 
The Balaji idol at Chilkur is said to have been discovered by an ardent devotee, in an anthill some 500 years ago. As old age prevented him from making his yearly pilgrimage to Tirupathi, the Lord is said to have manifested himself at Chilkur for his devotee's sake.
 
As per the local legend, anyone desirous of seeking a wish fulfillment from Chilkur Balaji must first make 11 pradakshinas at the temple and after it's granted, one must return to perform 108 pradakshinas as a way of expressing gratitude. And by the look of it, wishes are granted aplenty here.
 
Cash donations are neither expected nor accepted. offer donations in kind instead - like kumkum, rice, sugar etc. Devotees can also deposit into the "Daily Pooja Fund" Fixed Deposit Account, details in the page of VAK.
 
Dr. M.V. Soundararajan and C.S. Gopalakrishna are the Hereditary Archaka cum Trustees of the Temple. 
 
चिलकूर का स्थल पुराण
 
 चिलकूर में स्थित बालाजी की मूर्ति, एक भक्त को प्राप्त हुई थी, जिसे 500 वर्ष पूर्व एक बांबी से निकाला गया था। प्रतिवर्ष नियमित रूप से तिरुपति के दर्शन करनेवाले वह भक्त, वृद्धावस्था के कारण तिरुपति जा नहीं पा रहे थे। माना जाता है कि अपने उसी निर्बल भक्त के लिए भगवान बालाजी चिलकूर में प्रकट हुए।

 चिलकूर में विराजमान बालाजी के दर्शन करने वाले भक्तों का प्रगाढ़ विश्वास है कि जो भी भक्त अपनी मन्नत के साथ यहाँ आकर 11 बार मंदिर की परिक्रमा करता है तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। तत्पश्चात् 108 बार परिक्रमा कर बालाजी को धन्यवाद देतें हैं उनके दर्शन मात्र से भक्तों की इच्छा पूर्ति हो जाने का अटूट विश्वास भक्तों में है। अत: भक्तगण 11 बार परिक्रमा कर पूरे विश्वास के तथा अपनी इच्छा भगवान से निवेदन करें और उसकी पूर्ति के पश्चात् 108 बार परिक्रमा करें।

 इस मंदिर की विशेषता यह है कि, यहाँ धन के रूप में भगवान का चढ़ावा स्वीकारते नहीं। अगर इच्छा है तो वस्तु के रूप में अर्थात् कुंकुम, चावल, शक्कर आदि समर्पण कर सकते हैं।

 डॉ. एम.वी. सौन्दरराजन जी एव श्री सी.एस. गोपालकृष्ण इस मंदिर के वंशपारंपर्य ट्रस्टी एवं अर्चक (पूजारी) हैं। 
 
 

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